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وَاِذَآ اَنْعَمْنَا عَلَى الْاِنْسَانِ اَعْرَضَ وَنَاٰ بِجَانِبِهٖۚ وَاِذَا مَسَّهُ الشَّرُّ فَذُوْ دُعَاۤءٍ عَرِيْضٍ   ( فصلت: ٥١ )

And when
وَإِذَآ
और जब
We bestow favor
أَنْعَمْنَا
इनआम करते हैं हम
upon
عَلَى
इन्सान पर
man
ٱلْإِنسَٰنِ
इन्सान पर
he turns away
أَعْرَضَ
वो ऐराज़ करता है
and distances himself
وَنَـَٔا
और वो फेर लेता है
and distances himself
بِجَانِبِهِۦ
पहलू अपना
but when
وَإِذَا
और जब
touches him
مَسَّهُ
पहुँचती है उसे
the evil
ٱلشَّرُّ
तक्लीफ़
then (he is) full
فَذُو
तो दुआ करने वाला हो जाता है
(of) supplication
دُعَآءٍ
तो दुआ करने वाला हो जाता है
lengthy
عَرِيضٍ
लम्बी चौड़ी

Waitha an'amna 'ala alinsani a'rada wanaa bijanibihi waitha massahu alshsharru fathoo du'ain 'areedin (Fuṣṣilat 41:51)

Muhammad Faruq Khan Sultanpuri & Muhammad Ahmed:

जब हम मनुष्य पर अनुकम्पा करते है तो वह ध्यान में नहीं लाता और अपना पहलू फेर लेता है। किन्तु जब उसे तकलीफ़ छू जाती है, तो वह लम्बी-चौड़ी प्रार्थनाएँ करने लगता है

English Sahih:

And when We bestow favor upon man, he turns away and distances himself; but when evil touches him, then he is full of extensive supplication. ([41] Fussilat : 51)

1 Suhel Farooq Khan/Saifur Rahman Nadwi

(वह अलग) और जब हम इन्सान पर एहसान करते हैं तो (हमारी तरफ से) मुँह फेर लेता है और मुँह बदलकर चल देता है और जब उसे तकलीफ़ पहुँचती है तो लम्बी चौड़ी दुआएँ करने लगता है